Romanchak Vigyan Kathayen (Hindi)


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आधुनिक युग विज्ञान का युग है। मनुष्य के भाँति-भाँति के कौतूहलों और जिज्ञासाओं को शमित करने में विज्ञान ही सक्षम रहा है। विज्ञान के बल पर ही मनुष्य चंद्रमा पर उतरा और मंगल ग्रह पर उतरने की तैयारी कर रहा है। उसने अणु-परमाणु के विखंडन व संघटन के परिणाम जान लिये हैं और अंतरिक्ष के ग्रहों-उपग्रहों से संबंध स्थापित कर रहा है। विज्ञान की इन्हीं चमत्कारक गतिविधियों ने विज्ञान लेखन की कल्पना को नई-नई संचेतनाएँ दीं; जिससे रोचक व रोमांचक विज्ञान कथाओं का सृजन हुआ।
सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य; रोमांच एवं अद‍्भुत कल्पनाशीलता से भरी हैं तथा अपने पाठकों को भरपूर आनंद देती हैं।Indulge in ‘ROMANCHAK VIGYAN KATHAYEN’ by JAYANT VISHNU NARLIKAR

Indulge in the enchanting world of science and storytelling with ‘ROMANCHAK VIGYAN KATHAYEN’ by the esteemed JAYANT VISHNU NARLIKAR. This collection of science stories captivates readers with narratives that blend the excitement of discovery with the wonders of storytelling.

Science and Stories Unite

‘ROMANCHAK VIGYAN KATHAYEN’ is more than a book; it’s a celebration of the intersection of science and storytelling. JAYANT VISHNU NARLIKAR’s narratives transport readers into the world of scientific discovery, making complex concepts accessible and exciting.

As you immerse yourself in the stories, you’ll find a unique blend of curiosity and knowledge that sparks the imagination. This book is a testament to the idea that science is not just a subject; it’s a thrilling journey of exploration and understanding.

Why ‘ROMANCHAK VIGYAN KATHAYEN’ Is a Must-Read Celebration of Science:

Exciting Narratives: Experience the excitement of scientific discovery through captivating stories that make complex concepts accessible to all.Blend of Curiosity and Knowledge: Indulge in a unique blend of curiosity-driven narratives and scientific knowledge, making learning an enjoyable experience.Scientific Exploration: Dive into the world of scientific exploration, uncovering the wonders of the universe through engaging and informative stories.Perfect Gift: Share the gift of scientific curiosity with friends and family. ‘ROMANCHAK VIGYAN KATHAYEN’ is an ideal present for those fascinated by the wonders of science.

Don’t miss the opportunity to celebrate the thrill of scientific discovery through storytelling. Secure your copy of ‘ROMANCHAK VIGYAN KATHAYEN’ by JAYANT VISHNU NARLIKAR and embark on an exciting journey of knowledge and imagination.


From the Publisher

Romanchak Vigyan Kathayen (Hindi) by Jayant Vishnu Narlikar

Romanchak Vigyan Kathayen (Hindi) by Jayant Vishnu NarlikarRomanchak Vigyan Kathayen (Hindi) by Jayant Vishnu Narlikar

विज्ञान की इन्हीं चमत्कारक गतिविधियों ने विज्ञान लेखन की कल्पना को नई-नई संचेतनाएँ दीं, जिससे रोचक व रोमांचक विज्ञान कथाओं का सृजन हुआ।

रोमांचक विज्ञान कथाएँ आधुनिक युग विज्ञान का युग है। मनुष्य के भाँति-भाँति के कौतूहलों और जिज्ञासाओं को शमित करने में विज्ञान ही सक्षम रहा है। विज्ञान के बल पर ही मनुष्य चंद्रमा पर उतरा और मंगल ग्रह पर उतरने की तैयारी कर रहा है। उसने अणु-परमाणु के विखंडन व संघटन के परिणाम जान लिये हैं और अंतरिक्ष के ग्रहों-उपग्रहों से संबंध स्थापित कर रहा है। विज्ञान की इन्हीं चमत्कारक गतिविधियों ने विज्ञान लेखन की कल्पना को नई-नई संचेतनाएँ दीं, जिससे रोचक व रोमांचक विज्ञान कथाओं का सृजन हुआ। सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अद‍्भुत कल्पनाशीलता से भरी हैं तथा अपने पाठकों को भरपूर आनंद देती हैं।

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Jayant Vishnu NarlikarJayant Vishnu Narlikar

Jayant Vishnu Narlikar

जन्म : 19 जुलाई, 1938 को कोल्हापुर, महाराष्‍ट्र में।शिक्षा : आरंभिक शिक्षा बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय के परिसर में प्राप्‍त की, जहाँ पिता विष्णु वासुदेव नारलीकर प्रोफेसर और गणित विभाग के प्रमुख थे। स्कूल और कॉलेज में उत्तम प्रदर्शन के बाद श्री नारलीकर ने सन् 1957 में बी.एस-सी. की डिग्री प्राप्‍त की। उन्होंने गणित में अपनी कैंब्रिज डिग्रियाँ प्राप्त कीं—बी.ए. (1960), पी-एच.डी. (1963), एम.ए. (1964) और एससी.डी. (1976); परंतु खगोलविद्या और खगोलभौतिकी में विशेषज्ञता प्राप्त की। सन् 1962 में ‘स्मिथ पुरस्कार’ और 1967 में ‘एडम्स पुरस्कार’ प्राप्त किए। बाद में किंग्ज कॉलेज के एक फेलो (1963-1972) और इंस्टीट्यूट ऑफ थियोरेटिकल एस्ट्रोनॉमी के संस्थापक स्टाफ सदस्य (1966-72) के रूप में सन् 1972 तक कैंब्रिज में रहे।उन्हें कई राष्‍ट्रीय व अंतरराष्‍ट्रीय पुरस्कार और मानद डॉक्टरेट उपाधि मिली हैं। उन्हें ‘भटनागर पुरस्कार’ तथा ‘एम.पी. बिड़ला पुरस्कार’ भी प्राप्‍त हो चुका है। वर्ष 1965 में छब्बीस वर्ष की युवावस्था में ‘पद‍्मभूषण’ से तथा वर्ष 2004 में ‘पद‍्मविभूषण’ से अलंकृत किए गए।

अन्य प्रसिद्ध कृतियां।

Bharat Ki Vigyan YatraBharat Ki Vigyan Yatra

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Bharat Ki Vigyan Yatra

प्रस्तुत पुस्तक भारत की विज्ञान यात्रा के मील के पत्थरों से हमारा परिचय कराती है और विज्ञान में भारत के उल्लेखनीय योगदान से हमारा गौरव बढ़ाती है। इसमें विज्ञान के अलावा सामाजिक सोच से संबंधित मुद्दे भी वर्णित हैं। उच्च शिक्षा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा विज्ञान एवं धर्म के बीच होनेवाले संघर्ष या विवाद और जनता पर विज्ञान के अलग-अलग प्रभावों का भी वर्णन किया गया है।

Romanchak Vigyan Kathayen

रोमांचक विज्ञान कथाएँ आधुनिक युग विज्ञान का युग है। मनुष्य के भाँति-भाँति के कौतूहलों और जिज्ञासाओं को शमित करने में विज्ञान ही सक्षम रहा है। विज्ञान के बल पर ही मनुष्य चंद्रमा पर उतरा और मंगल ग्रह पर उतरने की तैयारी कर रहा है।

उसने अणु-परमाणु के विखंडन व संघटन के परिणाम जान लिये हैं और अंतरिक्ष के ग्रहों-उपग्रहों से संबंध स्थापित कर रहा है। विज्ञान की इन्हीं चमत्कारक गतिविधियों ने विज्ञान लेखन की कल्पना को नई-नई संचेतनाएँ दीं, जिससे रोचक व रोमांचक विज्ञान कथाओं का सृजन हुआ।

VIGYAN FANTASI KATHAYEIN

विज्ञान फंतासी कथाएँ प्रकाश मनु की विज्ञान कथाओं का ताजा संग्रह है; जिसमें वैज्ञानिक तथ्यों के साथ ही खेल और कल्पना का भी वितान तना हुआ है और हर क्षण कुछ नया घटित हो रहा है; जो परीकथाओं की दुनिया से कहीं अधिक चित्ताकर्षक और जादुई है। मनुजी की विज्ञान कथाओं में कहीं उड़ते हुए रोबोटनुमा पेड़ की कल्पना है तो कहीं मन को नियंत्रित करनेवाले हाइटेक सुपर कंप्यूटर की।

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ASIN ‏ : ‎ B01MPYB0XX
Publisher ‏ : ‎ Prabhat Prakashan (1 January 2017)
Language ‏ : ‎ Hindi
File size ‏ : ‎ 914 KB
Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
Screen Reader ‏ : ‎ Supported
Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
Print length ‏ : ‎ 145 pages

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Rihan Khan
Rihan Khan
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